हे तूं बालम के घर जाइये चंद्रमा,
जाइये चंद्रमा और के चाहिये चंद्रमा
आज सखीयां तैं चाली पट, दो बात सुणैं नैं म्हारी डट
घूंघट तणना मुश्किल, बोहड़ीया बणना मुश्किल, जमणा मुश्किल
हे ईश्वर का सुकर मनाईये चंद्रमा
दिए पीट गुस्से से मुंडी, किसमत की खुलगी घुंडी
आच्छी भुंडी सहिए, मतना उल्टी कहिए, सब की दासी रहिए
म्हारा इतणा कहण पुगाईये चंद्रमा
घणी सुणकै होज्या थोड़ी, तूं जौहरी यो लाल करोड़ी
जोड़ी मिलगी सही, ऐसी देखी नहीं, कसर इब कौणसी रही
हंस खेल कूदिए खाईये चंद्रमा
ढंग ‘धनपत सिंह’ बदले हर सन, बनवारी लाल हो प्रसन्न
दर्शन मेली रहिए, ना अकेली रहिए, तूं सब की चेली रहिए
फेर नाम देश म्हं पाइये
जाइये चंद्रमा और के चाहिये चंद्रमा
आज सखीयां तैं चाली पट, दो बात सुणैं नैं म्हारी डट
घूंघट तणना मुश्किल, बोहड़ीया बणना मुश्किल, जमणा मुश्किल
हे ईश्वर का सुकर मनाईये चंद्रमा
दिए पीट गुस्से से मुंडी, किसमत की खुलगी घुंडी
आच्छी भुंडी सहिए, मतना उल्टी कहिए, सब की दासी रहिए
म्हारा इतणा कहण पुगाईये चंद्रमा
घणी सुणकै होज्या थोड़ी, तूं जौहरी यो लाल करोड़ी
जोड़ी मिलगी सही, ऐसी देखी नहीं, कसर इब कौणसी रही
हंस खेल कूदिए खाईये चंद्रमा
ढंग ‘धनपत सिंह’ बदले हर सन, बनवारी लाल हो प्रसन्न
दर्शन मेली रहिए, ना अकेली रहिए, तूं सब की चेली रहिए
फेर नाम देश म्हं पाइये
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्