DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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RAJA HARISHCHANDAR KA KISSA || HARYANVI RAGNI || SAANG || हरियाणवी सांग || राजा हरीश चंद्र का KISSA

राजा हरीश चंद्र का सांग , आपके लिए पूरा किस्सा है , अगर कोई रागनी हमसे छूट गयी हो तो कृपया हमारे मेल पर भेज दे आपकी बहुत कृपया होगी दादा मुंशी राम की लिखी हुई रागनी और पूरा किस्सा 

निचे दिए गए लिंक में है ,

वैसे दादा मुंशी राम एक हरियाणा की एक मात्र श्यान है। 

दौलत माल खजाने की लड़की न सौपी ताली - ताज तख़्त और राज हकूमत लड़के ने संभाली
सोडा वाटर मिली शिकंजी पिले पकड़ गिलाश  - मेरे मात पिता ने पानी पि लिया तू पिले न रोहताश
पंचा म पांच पंचायती शोभा पाग की हो से  - मेरी मतन्य टारे दादा नाथ सुहाग की हो से
में निर्धन कंगाल जहा दुखिया का कष्ट मिटादे हो-
काशी जी की गाल गाल में फिरू मारता बोल   एक लड़का राजा रानी कोई लेल्यो करके मोल -टेक
रानी रे दुखिया ने घड़ा रे चकादे
घडिया थके के चला हरिस्चन्द्र , पानी  ढोंण लागरया  रे   करके  पिछली   बात  याद  गंगा  पे  रोंण  लागरया    रे
कठे होक लोग मखौल उड़ावे हांसी में - राजा लड़का रानी तीनो बाइक काशी में -
ब्राह्मण  गौ संत न छेड़े चढ़े चौगना पाप - मेरा राज पात सम्लिये मने मतना दिए श्राप
कांशी वाले चौकस रहना डायण आरी से ___सोहनी सूरत उम्र का याणा लड़का खारी से
तेरी माता रुके देरी एक बार बोलिए रोहताश _रो रो के पागल होली बैठा हो लिए रोहताश-
गई लाश के पास राणी चारो तरफ लखाईबैद्य नहीं में कहां से लाऊ ना करती असर दवाई
कन्द मूल पाल फूल खिले हुई-चौगो हरियालीबिरखे हैं कहीं उंचे नीचे झुकी हुई डाली
पंडित जी आया कोन्या रुक्के दे लिए साथ मने  || भोजन जल के बिच बहा दिया तेरी देख के बाट मने
लड़का राजा रानी तीनों अवध पुरी में आए____________फूलो की वर्षा होरी आनन्द के बादल छाए
देश नगर घर गाम रिसाले परगना सामले जाके_________तेरे पलटन फौज रिसाले चाले थामले जाके
तोड़ रहा था फूल बाग में शमशानो में आया ___सोता था में सुख निद्रा में किसने आण जगाया
हाथ पकड़ लिया राजा का न्यूं विश्वामित्र ललकारे___निगाह जंगां के देख हरिश्चन्द्र मतना मेरा सत हारे

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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्