DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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उतर पेड़ त तले एक ब मेरे दिल के डट्टन वाले , क्यों खोवे स टेम चली जा हम लकड़ी कटन वाले। .. ragni lyrics

उतर पेड़ त तले एक ब मेरे दिल के डट्टन वाले ,

क्यों खोवे स टेम चली जा हम लकड़ी कटन वाले। ..... 

-: यह रागनी गुरु चंद्र लाल की लिखी हुई है :-


उतर पेड़ त तले एक ब मेरे दिल के डट्टन वाले ,

क्यों खोवे स टेम चली जा हम लकड़ी कटन वाले। ..... 


1. तेरे मिलण की बाट बाट में घणी हाण होलई मन्ने 
कुछ जाल गेडना चाहवे स न्यू आण काण होलाई मैंने 
ब्याह करवले तेरी मर्ज की आन काण होलाई मैंने 
शादी बिना मलंग हांडण की हूर बाण होलाई मैंने 
कुकर होगा भला बता र इस मोक़े पर नाटणं  वाले
कितने  देखु रोज तेरे जिसे मतलब के काटण वाले। ...... 


2. कोण कड़े की रहणे वाली कोण नगर घर गाम तेरा 
मगध देश में रह्या करू सावित्री स नाम मेरा 
इस बिया बाण म हांडण का बता सावित्री के काम तेरा 
जोड़ी का भरतार मिल्या न छुटग्या ऐस आराम मेरा 
त्रिया विष की बेल जहर ने मरया करे चाटन  वाले 
हम आशिक काले नाग जहर त  , कद न्यारे पाटण वाले। ..... 


3. बीर मर्द का शरीर एक दिन कत्ज्य महरम लौटते म 
राज पैट का सुख छोड्या , के फायदा दुःख ओटे म 
तेरी गैल लकड़ी ढोल्युंगी  दयू साथ नफे और टोटे  म 
तेरी पतली कमर चणक आज्यागी ,स ज्यादा वजन भैरोटे  म 
दुःख की परवा नहीं बीर ने , बालम रंग छाटण  वाले
हम अपने आप गरीब बता , किसके दुःख बटण वाले। ....... 


4. ब्याह करवाके जनम कैद हो जीने खाड़े होया करे 
ब्याह करवाए बिना गबरू उत् लुंगाड़े होया करे 
घर बास्या म कुटुंब फलज्या घणे पवाड़े होया करे 
जिस घर बालक बीर नहीं वो भाग के माडे होया करे 
गुरु चंदरलाल भगवन भगत के , सदा मन साटण वाले .........


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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्