गऊ ब्राह्मण साधु की सेवा अतिथि टहल बजाणे से
तीन जन्म के पाप कटे ईश्वर से गुण गाणे के.
गऊ ब्राह्मण साधु की सेवा अतिथि टहल बजाणे से
तीन जन्म के पाप कटे ईश्वर के गुण गाणे से.
आपस के म मिल जल के थम धर्म कर्म को याद करो
गऊ ब्राह्मण साधु की सेवा में कभी नहीं विवाद करो
बर्ह्म रूप भगवन की सेवा हिट चित से इमदाद करो
दरिया कैसी झाल रोक के ईश्वर से फरियाद करो
हाथ जोड़ के दो भिक्ष्या कोई मांगता घर पे आने से
छोड़ के ईर्ष्या रहो आनंद से यो ढंग स पार उतरने का
किसी समय में भय मिटज्या इस टोटे में दंड भरने का
रहो प्रेम से जातन बणाओ सहज गुजरा करने का
कहा ऋषियों ने सेवा है फल जंगल बिच विचारणे का
सहर म बेचो नफा रहेगा तोड़ लाकड़ी ल्याणे से......
दासी के सूत नारद जी न एक ब्राह्मण के घर जनम लिया
गऊ ब्राह्मण साधु सेवा से चित में सुमिरण खूब किया
चर का अमृत दिया ऋषियों ने समझ के अमृत नीर पिया
बड़े बड़े ऋषि मुनियो ने फेर नारद को वरदान दिया
शुद्ध आत्मा हुई नारद की बचा हुआ अन्न खाने से
जितना धन कमा के ल्याओ चार जगह पे भाग करो
एक तुम्हारा तीन पुण्य के अति लोभ का त्याग करो
दबा लिया अधरम ने ज्यादा शुभ कर्मा की जाग करो
छोड़ प्रै आशा तृश्णा हरी भजन की लग करो
कह लख्मीचंद हो ज्ञान की वर्धि गुरु को शीश झुकाने से। .......
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्