चीस लागरी चस-2 होरी कोए गात बोचियों मेरा
जीते जी पै आज्यागी मेरी माँ ने करियो बेरा-टेक
(1)
फूलां में ते सर्प लिकड़ के तेरे बेटे के लड़ग्या
एक मिनट भी खड़या रहा ना उल्ट जमी पै पगमा
विशियर बैरी डंक मारके उसै बिडे में बया
कोए सुणने आला सुणता होते मेरा दम लिकड़ग्या
एक झग्यानूर गात का फीका पड़ग्या चेहरा →
(2)
वा दुखिया कंगाल रहे से रामलाल के दासी.
कुछ ते दुखिया पहला थी कुछ देयी राम ने फासी
इन कांशी के बांगा में मां तेरी लुटरी से अठमासी
रोटी खाए पाछे कहिए कड़े हो मां निरणावासी
मेरे उठे खांसी सांस के मैं हो लिया काल भतेरा
(3)
जल्दी जाके कह दिए जै मेरी दया तनै आवै
ज़हर कसाई काया के ह दुणा जोर जमावे
मेरे बस की बात नहीं या जीम मेरी तुतलावै
न्यू ते मेरे पक्की जचगी मेरी मां ना फेटण पावे
कोण बचाव मने काल ते म्हारा उजड़ हो लिया डेरा
(4)
किसे का बेटा खू रहा होते झट बागा में जाले
माता-2 कहके रो रया उने ठा छाती के लाले
मूह का थूक सूखता आवे जाके पाणी प्याले
लख्मीचन्द मिले जाटी में मरहम पट्टी करवाले
सीधी जाके मिले नै बाग में जित लाल पड्या से तेरा
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्