DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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जमाना ही चोर है, पक्षी-पाखेरू क्या ढोर है

जमाना ही चोर है, पक्षी-पाखेरू क्या ढोर है


कोये-कोये चोर है जग म्हं लीलो आने और दो आने का
जवाहर का चोर है कोय, कोय है चोर खजाने का
जिसी चोरी करै उसी बोर है

चोरी करे बिना लीलो इस जग म्हं कोण रहया जा सै
कोये अन्ना का चोर कोये धन का चोर, कोये दिल का चोर कहया जा सै
दिल चौरी नैं सहज्या कमजोर है

काळा चोर कोये मुसकी चोर, कोये गौरा चोर कहया जा सै
ये छोहरी चोर घणी होती, कोई छोरा चोर कहया जा सै
किसे की दबज्या किसै का शोर है

कोये-कोये चोर लगे दुश्मन कोये प्यारा भी होगा
तूं हमनैं चोर बणावै सै, कोये चोर हमारा भी होगा
कहै ‘धनपत सिंह’ लीलो मछोर है

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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्