करके प्यार बुलाया था , राख्या प्यार कती कोन्या बिर की जात इसी हो स , मेरा गलत बिचार कतई कोन्या
करके प्यार बुलाया था , राख्या प्यार कती कोन्या
बिर की जात इसी हो स , मेरा गलत बिचार कतई कोन्या
बात न जाने स जग्ग सारा , आड़े मैंने बरस बीतगे बाराह
न वो प्यारी न म प्यारा , उसका प्यार कती कोन्या। .................
के जीवे जिसकी ज्योत बिखरले , वो मांणस घडी स्यात म मरले
इस ढोर न सर प ओढ़ण न ,प्यार कतई कोन्या। ......................
अकल्मन्द था भूल म सोग्या हीर का प्यार ज्यान त खोग्या
मेरे लेखे सब उज्जड होग्या ,रह्या संसार कटी कोन्या। ......................
लख्मीचंद रह्या देख तमास्सा , इब न मेरी जीवण की आसा
तीन रोज का मोटा रास्सा , हो इंतजार कतई कोन्या। ..........................
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्