DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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जाना कृष्ण के दरबार में , लगे करण सुदामा तयारी।

जाना कृष्ण के दरबार में , लगे करण सुदामा तयारी। 


सोचता सुदामा चाल्या हिर्दय में कुछ कार्य ध्यान 

टोटे के में पागल हो गया किया नहीं पूण दान 

बालक पण का यार सच्चा कृष्ण जी का करया ध्यान 

भूल गया  उसाण बूढ़ा हार ता दिखाई दे 

सुदामा ते टोटे का पद्य भर दिखाई दे 

आगे सी ने पहुंच गया द्वारका दिखाई दे 

खाद्य होगया सोच विचार में होया फ़िक्र गात में भारी........................। 


हिरे पन्ने लाल जड़े द्वारका के दिखे महल 

चौगरदे न चकाचोंध दिख रही चहल पहल 

ऐकले ने जाना दिखे नहीं कोई दूसरा गैल 

बेरा न कुकर होगी बिना मसोरे जाना से 

कुछ नहीं पास मेरे कलर कोरे जाना से 

बुझन लगया बता दियो मन कृष्ण धोरे जाना से 

 सीधा चाला जा बाजार में एक सड़क पाटे न्यारी ...........................। 


किस्मत मेरी पड़के सोगयी बेरा न कद जागे भाई 

कृष्ण धोरे जान में कुछ शर्म सी भी लगे भाई 

सोचता सुदामा पंहुचा राज भवन में आगे भाई 

सारी हाना साथ रहे साथ खेल्या खाया करते 

एक छोटे से विद्यालय में दोनो पढ़न जाया करते 

म उनके घर जाया करता वो मेरे घर आया करते 

आज तेरे द्वार पे यार में आया बणके भिखारी ..................................।


यार पणे में दुःख आज्य त यार पणे की जाणे ना 

आना हो बेकार मेरा कदे आये न पिछाणे ना 

पागल कैसा ढंग होया मेरा ध्यान भी ठिकाणे ना 

जगन्नाथ कहे टोटे के महा ध्यान ठिकाणे रह्या करे 

कितना भी समझदार हो दुनिया पागल कह्या करे 

गरीब अमीर रह दुनिया में सबपे मालिक दया करे 

मेरी नाव पड़ी मझधार में तुम पार करो गिरधारी ..........................। 


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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्