DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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सुख चाहती हो तो, ले दुःख दूर करू तेरे -lyrics

 सुख चाहती हो तो, ले दुःख दूर करू तेरे 


सुख चाहती हो तो, ले दुःख दूर करू तेरे 


वास्ते रहणे को त्यार ,रंगीले से महल करे 

इस्त्री जो मेरी तेरी , दससी बनके टहल करे 

रंगीली हो सेज बिस्तर , रुई केसा पहल करे 

साबण से नहला के चोटी नैनी सी त्यार करे 

स्याही और सिंदूर , बींदी रोली की बहार करे 

वस्त्रो में चमेली और इतर की महकार करे 

सब जेवर सोने का होगया , जब हाथ देखलिए मेरे। .........................................


काले  से बालो की बिणी, बिना बंधी पड़ी हुई 

गोल है कलाई तोल  मोल, करके घडी हुई 

केले केसी गोल , कैसे लरज्या रही खड़ी हुई 

मोठे मोठे नैन कमल फूल की ज्यू खिले हुवे 

होठ है इकसार कैसे , संधि करके मिले हुवे 

मुस्कुरा के बात करे , संतरे से छिले हुवे 

मैंने मुश्किल हुवे आके खाने , क्यों करके फांक बिखेरे। ..................


टकणे सब ढके , गोल पिण्डी सडोल तेरी 

कोक्ला और कोयल कैसी , मीठी मीठी बोल तेरी 

मुख की गोलाई तेरी चन्द्रमा सी गोल तेरी 

गोरा सा बदन गात बिच म से ठुकया हुवा 

गर्दन के नीचे का भाग , अगड़ी को झुक्का हुवा 

विस्तार है मलिन चाँद , बदलो में लुक्या हुवा 

घटा हटा झट पैट घुंगट करे , मत्य करे घोर अँधेरे। .......................


प्रेम से रटूँगा गोरी , सुबह शाम नाम तेरा 

राज और पाठ घर और गाम तेरा 

जितना मेरे पास सारा सोदा ही तमाम तेरा 

कटने को अगाड़ी करदी गर्दन मशीन तेरे 

लख्मीचंद टी बुझ जे नहीं अत यकीं तेरे 

जो कुछ मेरे पास सारा , सोदा ही अधीन तेरे 

तन्ने भी चलना , हमें भी पहुंचना जित धर्मराज के डेरे। ...............................

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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्