मत न मारे बेरी बोल्ला के तीर , छेद जिगर म होलिये र
मत न मारे बेरी बोल्ला के तीर , छेद जिगर म होलिये र
मत चन्द्रमा त नजर मिलावे , बच्या की तरिया हाथ हिलावे
जाणं के घालावे बेरी कल की जंजीर , जगह बचण की टोह लिए र।
क्यों रह्या बांध पाप का पाला , सहम जिंदगी का होज्या गाला
तू स गन्दा नाला , म गंगा जी का नीर दाग जिगर के धो लिए र।
क्यों न सबर शांति धारे , मन म खोटी बात बिचारे
स्यामि हो क छुरा मरे , धोखा बीर बड़े बाह्य न पर खो लिए र।
लख्मीचंद छंद न गावे गया बखत हाथ नही आवे
तू कितका इसक कमावे तेरा आ लिया आखरी टेम मत बोलिये र।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्