कहियो रे उस नौटंकी गौरी न , अपने राजा की छोरी न एक आशिक रोवे तेरी जान न
कहियो रे उस नौटंकी गौरी न , अपने राजा की छोरी न
एक आशिक रोवे तेरी जान न ....................
कदे मुरगाई सी ळरज्य डोलेगी , कदे सज्जन कह क बोलेगी
कद खोलेगी धन माया की बोरी न , कद पटेगी खबर जहाँ न
यह तो मेरे खुद हाथ की कार, जद दिए हिरे रतन जवाहर
जा पहरा दिए हार अपने राजा की छोरी न , खूब सजा लेगी अपणी स्यान न
तू आवेगी इतने हरदम याद करूँगा , लम्बे लम्बे साँस भरूंगा ,
न ते पीके मरूंगा जहर की कटोरी न , मैंने होस नहीं गालतान न,
नागिन ये बिल म बड़ज्या डस के , माया जणु किस किस न लूट लये हंस के
लख्मीचंद कसके पाकड लये मन कपटी की डोरी न
कह दिए वोह हीणा तू ठाढ़ी , दान पुण्य काट्ज्यांगे आडी
धस री गरया म गाड़ी , मुश्किल हो रही से छोरी न
कद चाल्ले मदान
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्