जवाब राणी सुनीति का नारद मुनि से
म रौ सु रंग महल म , मेरे हुई नहीं संतान ,
पिया जी की अगत बेल चले। ..............
मेरे दी घाल राम जी ने फांसी ,
मेरे क्यों रूस गए अविनासी ,
रहे सो सो दासी टहल म , मेरे लावे से भतेरा ज्ञान ,
कालजे म दुःख की सेल चलै। ................
जैसे करतब करे जमाना ,
अपणी आई मरे से जमाना ,
फिरै से जमाना सेल म ,यु दो दिन का मेहमान ,
आखिरी मह तज के खेल चलै। ......................
आदमी हो चाहे मुल्की लाट ,
उसके भी बणे बिगड़ज्य ठाठ ,
बैठ काठ की बहल म , लिकड़ज्या स ज्यान ,
आदमी क कुछ और भी न गेल चले....................
हर के गुण गए सुबह शाम ,
आज मेरे बणे रे बिगड़े काम ,
मांगेराम पांची की जेल म , रोज रटे भगवन ,
ज्ञान की भरके रेल चले। ............
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्