बेवारस की ढाल फिरै ,तू कोण कड़े त आगयी मारण आली अदा निराली , चुट कालजा खाग्यी
बेवारस की ढाल फिरै ,तू कोण कड़े त आगयी
मारण आली अदा निराली , चुट कालजा खाग्यी
में बुझू तेरे त गौरी , तू कड़े तै आयी
छम छम छम करती चाल्ले , जणु पानी म मुरगाई
एक आधी ब आंख चिलीक्जया , दो आख्या म स्याही
थाली म के ले रही बता रे , किस की खात्यर ल्याई
गोल कलाई बणी हूर की, किसी हंस के नाड़ हिल्यागि। ...........
आधी रात सिखर टी ढलगी ,ईब कोण खिड़की खोले से
बेवारास की ढाल फिरे , क्यों इधर उधर न डोले स
गुपती तेग मारदी दिल प , क्यों जिगर मेरा छोले स
सो सो रुक्के मार लिए , न एक बार भी बोले स
घूँघट ताणं खड़ी होगी , किसी चाल्लण त नरमाज्ञी। .................
बेवारस की ढाल फिरे ,दुनिया बिच भरमति
इधर उधर न डोल रही , न एक जगह प् जमती
तेरी पायल का खुड़का होरया न मिह बरसण त कमती
घोड़ी लक्ष्मी और लुगाई बिना खसम न थमती
आशिक ढक लिया तेरे रूप न , घटा चाँद प छागई ..................
बदमासा प पहरा लगरया , हुक्काम नहीं आणे का
थाणेदार में फिरू गस्त प , अदली के थाणे का
औरत स तै के ढंग देख्या , तन्नै राह रास्ता पांने का
सारे सहर म शोर माचर्य ज्यानी के आणे का
लख्मीचंद न आगा घेरया , तू आज कड़े के जागी। .................
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्