मेरी बेट्टी यू के हाल सासरै घाल्ली थी
बनड़ी बणकै मेरे ढूंड तैं जा ली थी
जिसकी बेट्टी इसी दुखी वा क्यूकर जीवै मात
काठ के कोयले होया करैं पेड़ बिना फल पात
बिल्कुल ना रही गात बदन पै लाली थी
तनैं छोड़ कै गई घरां मनैं सब कुछ लाग्या फीक्का
तेरे बिना हे मेरी बेटी घर म्हं कुछ ना दीक्खया
एक बाळक नैं छींक्या था जब तेरी डोळी चाली थी
मां बिन बेट्टी इसी जगत म्हं, जिसा बाग बिना माळी
काठ के कोयले होया करै सै जो बिना पेड़ फल, डाळी
उस खेत म्हं आकै बणी रूखाळी, मनैं बनड़ी भेजी ब्याहली थी
कहै ‘धनपत सिंह’ सुण मेरी बेट्टी किस्मत आग्गै अड़गी
देई, धाम ना पूज्जण पाई पिया तैं बिछड़गी
विपता म्हं विपता पड़गी और भतेरी काल्ली थी
जिसकी बेट्टी इसी दुखी वा क्यूकर जीवै मात
काठ के कोयले होया करैं पेड़ बिना फल पात
बिल्कुल ना रही गात बदन पै लाली थी
तनैं छोड़ कै गई घरां मनैं सब कुछ लाग्या फीक्का
तेरे बिना हे मेरी बेटी घर म्हं कुछ ना दीक्खया
एक बाळक नैं छींक्या था जब तेरी डोळी चाली थी
मां बिन बेट्टी इसी जगत म्हं, जिसा बाग बिना माळी
काठ के कोयले होया करै सै जो बिना पेड़ फल, डाळी
उस खेत म्हं आकै बणी रूखाळी, मनैं बनड़ी भेजी ब्याहली थी
कहै ‘धनपत सिंह’ सुण मेरी बेट्टी किस्मत आग्गै अड़गी
देई, धाम ना पूज्जण पाई पिया तैं बिछड़गी
विपता म्हं विपता पड़गी और भतेरी काल्ली थी
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्