वो सोवणिया फेर जागजा जिसकी छुर तै टुटी कोन्या
जिसकी टूट लई दरगाह ते उस टुटी के बूटी कोन्या - टेक
(1)
तनै तै रोवण पीटण तै सरज्ञा, ओ चेतन परलोक डिगरग्या
जब बाप तै पहलां बेटा मरज्या, बो लुटग्या तू लूटी कोन्या
(२)
तू तै कह से मने जाया था, लाल बड़ी मुश्किल है पाया था
वस इतने ए दिन खातर आया था और आगे की छुट्टी कोन्या
(3)
ये दुख आदम देह में भोगे, बेराना कित वैद्य धन्वन्तर सोगे
जिस तै अमर देवता होगे वा अमृत की घूटी कोन्या
(4)
विपता पड़ज्या कहै जिसे भगत में पाछे के भोगणे थे भोग अगत मे
लखमीचन्द रहे अमर जगत में, इसी तेरी किस्मत फुटी कोन्या
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्