दया करि हर ने दोनों पे न्यू दर्शन पावण की
कद का देखु बाट घात पे माणष आवण की - टेक
इतना एहशान मेरे सर धरदे जख्म मेरे में दवाई भरदे
श्रद्धा करके हिम्मत करदे एक हाथ लगावण की ....................।
दिन और रात फ़िक्र में जासे, चिंता चुट जिगर ने खा से
तेरे पति में हिम्मत ना से , मटका ठावण की ...................।
काबू में मेरे गात नहीं से चैन पड़े दिन रात नहीं से
घड़ा ठवादे कोई बाट नहीं से ,बिलकुल शरमावण की ..............।
गुरु बिन कोण ज्ञान का देवा आके पार लगादो खेवा
श्री मानसिंह की करके सेवा , लई कार सिख गावंण की ..................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्