देखो देखो ये गरीबी ये गरीबी का हाल
कृष्ण के दर पर विश्वाश लेके आया हु
मेरे बछ्पन का यार ह मेरा श्याम
यही सोच कर कुछ आस लेकर आया हु
..............................................................।
अरे द्वार पालो कन्हैया से कहदो
दर पे सुदामा गरीब आ गया है
भटकते भटकते न जाणे कहा से , तुम्हारे महल के करीब आ गया है -------टेक
न सर पे है पगड़ी , न तन पे है जामा
बतादो कन्हैया को नाम है सुदामा
एक बार मोहन से जाकर के कहदो
मिलने सखा बढ़ नशीब आ गया है ............................।
ए सुनते ही दौड़े चले अये मोहन
लगाया गले से सुदामा को मोहन
हुवा रुक्मणि को बहुत ही अचम्भा
मेहमान केसा अजीब आ गया है ..............................।
बराबर में अपने सुदामा बैठाये
चरण आंसुओ से श्याम ने धुलाये
न घबराओ प्यारे जरा तुम सुदामा
ख़ुशी का समै तेरे करीब आ गया है .........................।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्