आया बुढ़ापा कड़वा करकै, तू मतना बेच किसान मनै
अरै इब काँधे मैं सत ना रह रह्या, मतना करै ब्यरान मनै
१-
ढेड साल का बच्चा था, जब नाथ श्रोंध घलाया था
उम्र दो बरस थी मेरी, जब जुवैं तनै हयलया था
आया कर दिया, गऊ माता नै, जीतणा दूध पयलाया था
तेरा कमा-कमा घर ठोक दिया, तेरी ऊंची राखी शान मनै .........................।
२-
जाडे मैं तेरी गेल ठर्या, और घाम मैं गेल जळया करता
गोडै ढूँगी हल की फाळी, चट्कारी गेल चल्या करता
नहीं कदे भी काल्ली मानी, यो काँधा खूब बळया करता
जुणसा बोया बीज मनै, तेरै सहसर गुणा फल्या करता
तेरे षरसम, गेहूँ, ज्वार, बाजऱा, बौये ईंख और धान मनै................।
३-
ध्यान लगा कै सुण अन्नदाता, मेरी बात मैं रौळ नहीं
सारी जवानी खेत कमाया, होया कदे डामा-डोळ नहीं
आया बुढ़ापा बेचण लाग्या, कोढ़ी का मेरा मौल नहीं
तनै सारा दर्द सुणा दयूंगा, मेरै बेसक मुँह मैं बोल नहीं
इब तेरे थाण मैं पैर पसारुं, या भिक्षा दे जज़मान मनै...................।
४-
मत्नया हवालै करै मनै तू इन बेदर्द कसाइयाँ कै
हत्थे मैं मेरा गात फसाँ दे दया नहीं अन्याइयाँ कै
मेरी नयाड पै आरा धरदें लगै लानत् जननी माइयाँ कै
तेरै-तेरै नहीं पाप लगै सारे हिन्दू भाइयाँ कै
आज़ाद सिंह इब तेरी मर्ज़ी दे दिया भतेरा ज्ञान मनै........................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्