सोडा वाटर मिली शिकंजी पिले पकड़ गिलाश
मेरे मात पिता ने पानी पि लिया तू पिले न रोहताश - टेक
१-
पहले पिया तेरे पिता ने पाछे पिगी राणी
मेरी मंशा पूरी हो ज्यागी पिले बेटा पानी
क्यू करे गात का नाश तेरी रोहताश उम्र से यानी
बियाबान में मरे तड़प के कोढ़ पटगी घनी
ठानी पड़े मुशीबत काशी रहगी कोस पचास
फल फूल मूल कांड जगत में पानी की पैदास .................।
२-
रीत धर्म ने छोड़ू ना चाहे जोर मार्लयो परजा
पाछे अंजल पान करू तेरा देके पहले कर्जा
कर्जा हो से खसम मानस का टोटा खोदे दर्जा
राज पाट भी छोड़ दिया चाहे मैंने पड़े भुगतना हर्जा
दर्जा टूटे भले मांणस का होज्या सत्यानाश
सात रहज्यो जी जाता रहे मने नहीं ज्यूण की आस ................।
३-
परनाम नमस्ते हुक्का पांणीसर का हो से
आ बैठ लेट खा ले रोटी काम तब्दीर का हो से
असरात ऐस अमीरी तक़दीर का हो से
नीर का हो से सहारा अन्न अग्नि का बास
गर्मी म दम उखड रया तेरा , आवे टूटता सांस .....................।
४-
सौ भार सुनहरी दिए बिना मेरा जीना से धिक्कार
एक कहो चाहे लाख कहो चाहे दे लो गाल हजार
मार चाहे पुछ्कार लिए से तेरे अख्तियार
चाल बेचले जित भी बेचे खड्या बदन बिकन न त्यार
मुंशीराम तेरी कविताई होइ मेट्रिक पास
नगर जंडली छोटी का दर्जा से फ़ास्ट क्लास ...........................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्