DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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हाथ पकड़ लिया राजा का न्यूं विश्वामित्र ललकारे___निगाह जंगां के देख हरिश्चन्द्र मतना मेरा सत हारे


हाथ पकड़ लिया राजा का न्यूं विश्वामित्र ललकारे
निगाह जंगां के देख हरिश्चन्द्र मतना मेरा सत हारे→ टेक

डिगण लगे नम के तारे आज शेष कर्मठी हाल गई
कर्माका कागज लुकग्या मेरी सारी देखा माल गई
स्वर्ग लोक पृथ्वी के ऊपर शोभा तेरी पताल गई
मौत भी मुख दिखलाती कोन्या लुक प्रदेशा नै चाल मई
वक्त पड़े पै होई परीक्षा होनी थी घर घाल गई
ना बरंट कटै उस होनी के कर कैसा गजब कमाल गई
ब्रह्म देव की आन तने जो राणी के तेगा मारे
मेरे बस की बात नही स्वामी का हुक्म शीश तारे

गुरूसन्त का कहना मानै पाप पिछला टरज्यागा
सत चरण गंगा की धारा सारा कुल निस्तर ज्यागा
मारण दे इस डाकण ने फिर सारा कारज सरज्यागा
काल मरा डाकण का लड़का रोके डाकी माज्यागा
दुनिया के म्हं नाम रहे जो सतकी रक्षा करज्या गा
सारी कथा ध्यान से सुणके माणस दुसरा डरज्यागा
पतिव्रता जो बीर जगत में सत्यव्रत मन में धारे
कुर्ती दामण दोनों पाटै शोभा होज्यागी सारे


मतना काटे सितम धर्म का वाहे सागण राणी स
कांशी जी में शोर मचग्या डाकण माणस खाणी से
धर्मवीर रोहित तेरा जो सत की समझ निशानी से 
दाह करने को जगह मिले ना कोड पाटगी घाणी सै
छत्री धर्म का काम नहीं जो त्रिया पै तेग उठाणी से
सुअर तीसाए मरते होंगे जाके भरणा पाणी से
सत धर्म की दाब पड़े, वो बारह सतरह अठारह
लाश कफन बिन सडे कंवर की जले हुए को क्यों जारे



छत्रि होके बिना ढाल तनै खाली खांडा ठालिन्या 
तावल करके कदम उठाया खड़ग हाथ में आदिन्या
मैं भंगी वाला काम करूं क्षत्री का भेष बणा लीन्या
ढील, यहां पर ना होती मन काम दूसरा आ लीन्या
तेरी हार नही होती मेने सिर पै हाथ टिका लीन्या
कहा आपका सारा मानूं जो कुछ काम बता दीन्या
गुरु हरिश्चन्द्र पैजाके पूछो जब शिक्षा लागे थारे 
मुन्शीराम तेरी जाण्डलिया में बादल आ बारिश डारे-

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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्