सासू नणद जेठाणी कोन्या मैं बेटे पै दिन तोडूं सूं
मेरे बेटे की ज्यान बचादे भूप खड़ी कर जोडूं सूं
1
आए गए मुसाफिर के कदे दो आने भी लूट्टे ना,
साधु सन्त महात्मा तै मनैं दिए वचन कदे झूठ्ठे ना,
काच्चे गेहूं खेत म्हं सूखै रॉस हुई और उठ्ठे ना,
मेरा बेटा के मरण जोग सै दांत दूध के टूट्टे ना,
आंसू पड़-पड़ घूंघट भीझै मैं पल्ला पकड़ निचोडूं सूं.........................
2
18 साल की रांड हुई मैं डळे स्वर्ग म्हं डोह्ऊं सूं,
तन-मन की कोय बूझणियां ना बैठ एकली रोऊं सूं,
काफी दिन हुए रांड हुई नै सांस घाल कै सोऊं सूं,
कई रोज की भूखी सूं मैं डेढ टिकड़ा पोऊं सूं,
और देश नै मोती चुग लिए मैं ठाली रेत पिछोडू सूं,............................
3
त्रिलोकी के पनमेसर मत एक किसे कै लाल दिए,
एक लाल भी दे दे तो फेर मोहर असर्फी माल दिए,
बारां साल होए रांड होई न काट भतेरे साल दिए,
मेरे बेटे के बदले म्हं आज और किसे नै घाल दिए,
तूं जाणैं कै ���ैं जाणूं के बात शहर म्हं फोडूं सूं............................
4
मांगेराम बुरे कामां तै टळता-टळता टळ्या रहै,
ऊंच का पाणी सदा नीच म्हं ढळता-ढळता ढळ्या रहै,
दुश्मन माणस के करले वो अपणे मन म्हं जळ्या रहै,
मेरे बेटे की ज्यान बचादे मेरा भी दीवा बळ्या रहै,
तेगा लेकै नाड़ काटले के तेरे हाथ नै मोडूं सूं...............................................
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्