DESCRIPTION:- सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी , आप सब का तह दिल से धन्यवाद्

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पंडित जी आया कोन्या रुक्के दे लिए साथ मने || भोजन जल के बिच बहा दिया तेरी देख के बाट मने

पंडित जी आया कोन्या रुक्के दे लिए साथ मने 

भोजन जल के बिच बहा दिया तेरी देख के बाट मने




धातु का काम ज्यादा होना पीड़ा शरीर नहीं खोवे 

सत कर्मो का ग्रहण कर विषयो में प्रीत नहीं होव 

आलास में पुरुष स्वार्थ छोड़ सुख  की नींद नहीं सोवे 

एकाग्रचित समाधी से जो मन के माह ईशवर टोह्वे 

के दरवाजा पाया कोन्या लिनी पकड़ चौखट तने 

भोजन जल के बिच बहा दिया खाली ने लौकाट तने ...................। 


अन्न जल प्राण देवता तीनो चौथी माया आवे से 

अनुमान उपमान सदृश और चौथा शब्द कहावे से 

पूरा किया करार ऋषि जी क्यों मेरे दोष लगावे से 

साढ़े आठ बजे का कहा था दो पे घंटा आवे से 

ज्यादा भोजन ल्याया कोन्या चाल बाताद्यू हाट तने 

बिता ऐसा जीकर चला दिया नहीं मिलाये पात मने .......................। 


नहीं आवे जो यकीं आपके मेरा जोर चले कोन्या 

पूरी शिला है सतगुरु की पल में चित हिले कोन्या 

पूरा होव कर्म मानस का सत कर्मो की टले कोन्या 

पांणी में ते भोजन पूठा थाली बिच गले कोन्या 

क्यों दुखिया ने तरसावे से बीस मरली डाट तने  

सुअरा न जल पयाना होगा सर धार लिया मात मने...........................। 


पुणे करो यकीं ऋषि जी मने कोन्या  भोजन खाया से 

मानष जनम ले झूठ बोलना बुरा कर्म बताया से 

पाप कपट छल बइमाने त जिसने दर्व कमाया से 

आज्ञा भांग कर वेदों की खोता करम बताया से 

मुंशीराम विधा चारि दयी खोल भरम की गांठ तने 

हरिश्चंद्र का सत पूरा से भगत लिया अब छांट मने...........................। 

  

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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,

हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,


में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |

आप सब का तह दिल से धन्यवाद्