कन्द मूल पाल फूल खिले हुई-चौगो हरियाली
बिरखे हैं कहीं उंचे नीचे झुकी हुई डाली-- टेक
पानी का मर रहा होद में खेल दिखाई दे -
चौगरदे रहे टूल फूल का मेल दिखाई दे
ऊपर मेवा फ्ले तले को बेल दिखाई दे
मर्द जनाना पक्का धक्का पेल दिखाई दे
दादर मोर पपीहा कोयल बोल रही काली
अवरो करे गुंजार फूल की चूस रहे लाली
C
खसबोई सी आरही क्यारी केशर की देखी
मिली हुई छाया माया पनमेटर की देखी
"मन्दिर में मूर्ति सुरति अवधेशर की देखी
चककर लाके आके मूर्ति मुक्तेशर की देखी
तेतीस करोड देवता सारे जगह नही खाली
है इश्वर मेरी बख्त पड़े पै करिये रखवाली ट
(3)
पौधे खडे अनेक एक से सारे नजर पड़े
जगमग-2 होरही ज्यों मोती में हार जड़े
नीम्बू अनार कचनार कहीं पे बड़े-2 आम खंडे
सारस और चकोर कबूतर आपस में लड़े
मए आ और पदीने की थी गुथमा जाली
नागवला के पास कुसुम्भा खड़ी देवलाली
(4) राजगा और कचालू आलू कधा में सारे
आडू निम्बू लोकाट घाट ना मिठे ना खारे
पोण्ड के धोरे ठीक ईख के लगे हुए लारे
बड़ दर्शन का मेला केला थे न्यारे न्यारे
जिला हिसार में नगर जाण्डली बात समझ में आली
गुरु हरिश्चद से भने राम ने कविताई चाली
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्