हे कान्हा तेरी कैसी है यारी
आया सुदामा चला बन के भिखारी -----टेक
द्वारिका में आया मेरा टोटा हटेगा एक श्यात में
के बेरा था नहीं देगा फूटी कोड़ी मेरे हाथ में
पां धोये परांत में मेरी आरती उतारी.........................।
सोचती मिश्राणी होगी कमी रहे ना धन माल की
झोली भर लावे पिया जी हीरे पन्ने कनी मणि लाल की
के बेरा कंगाल की सब ढाला होगी हारी..................।
हाथ पैर बांध लिए घुसा जमाये मेरे पेट में
वस्त्र छीन लिए तूने दिए थे जो भेट में
रहा तेरी ऐंठ में मेरी मति गयी मारी ........................।
कैसा दिन बंधू तू है कैसा खिवैया जग की नव का
कैसा तुम खेल खेला मेरे संग धुप और छाँव का
प्रेमपाल भाव भूखा है गिरधारी ............................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्