कठे होक लोग मखौल उड़ावे हांसी में
राजा लड़का रानी तीनो बाइक काशी में - टेक
१-
पिछले कर्म अगाडी अड़ग्या बसबसाया ढूंढ उजड़ग्या
मेरे में दुःख पड़ग्या राणी चंदरकाला सी में
सूरज बर्गा चेहरा जाबक होगया उदासी में ....................।
२-
लोग कह थे महाराज , धरु था शीश पे ताज
कदे करू था राज आज हो गया बनवासी में
श्यार बोलते दिखे से आज सिंह की राशि में ....................।
३-
म्हारे उतरा करता सात पकवान , खाया करता मेवा मिष्ठान
म्हारे जीम्या करता जहान, आज टोटा होग्या लस्सी में
मुश्किल ते ज्यान बचे गी, फास गया जमी की फांसी में ............।
४-
दुआके बाटे भर पचास , मने नहीं जिण की आस
बेच दिया रोहताश होग्या नाश देर जरा सी में
मुंशीराम तेरे भजन सलानी जणू दूध गिलासी में .......................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्