खटकड़ तै परवा की ढब मै सदाव्रत चल रहा सै,
कोठी कंगले लंगड़े लूलां तक का दुख टलरा सै,
ब्राह्मण लोग आनन्द से करते वेद पाठ चलरा सै,
हो दूर अन्धेरा ज्ञान का दीपक जाटी मै बलरा से,
धर्म सनातन जगा दिया इव पाप की वृद्धी बन्द सै। 1
कुए बावड़ी धर्मशाला और प्याऊ तलक सम्भाले,
गऊओं के दुख दूर करै मैं जित-२ डेरा डाले,
पढ़े लिखे विन वेद नै समझै धर्म के मार्ग चाले,
हट के मन्दिर फेर चिणा दिए धजा शिखर मै हाले,
जो लखमीचन्द नै सिर्फ सांगी समझैच उसकी बुद्धि मन्द सै।२।
मोर मुकट पीताम्बर धारी इसा कवि जगत में होग्या,
दूर अन्धेरा करया दूसरा रवि जगत मै होग्या,
चित्रसैन गन्ध्रव से बढ़ के कवि जगत मै होग्या,
व्यास पुत्र सुकदेव सा त्यागी अभी जगत में कोन्या,
ये लखमीचन्द तो मनुष्य नहीं यो तै नन्द बा. सुकन्द सै ।३।
राधा रूकमण गोपनियां संग रास करणियां यो सै,
गऊ ब्राह्मण साधु की सेवा खास करणियां यो सै,
सब जीवां के घट-घट भीतर बास करणियां यो सै,
दंत बकर शिषपाल कंस का नाश करणियां कोन्या,
कहै देवीराम भजन से कटता जो जन्म मरण का फन्द सै।
सै ।
॥४|
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्