समझ्य कै राज्जा नल कै हाजर्य, कर दिया जोब्बन बाला ।।
जैसे जल के भरे बादल मैं बिजली, चिमक चिमक कै घोरै,
बाम्मा हात्थ पकड़क होग्यी, खड़ी पती कै धोरै,
सती पती नैं सत्त समझ्य कै, बन्धी धरम कै डोरै,
चन्दा सा मुख गोल, बोल कै मिट्ठी चित्त नैं चौरै,
देवता ऋसि सब भला भला कहैं, भूप कहैं कऱ्या चाला ।।
ईब सै मन्नै कित जगांह जाण नैं, जो तेरे बचनां तें घिर लिया,
तन्नै धन दमयन्ती धरम समझ्य के, ध्यान पती मैं धर लिया,
इन देवत्याओं के रहते रहते, फिर बी मुझ को बर लिया,
तेरी आज्ञा का पालन करुंगा जन्म भर, मनैं भी संक्लप कर लिया,
याह बी दया इन देवत्यां की, नां के ओर धऱ्या था मसाला ।।
मन्नै अपणे मन्न तें किया संक्लप, उस तैं नहीं टलूँगी,
जो मैं पतीबरता का धरम छोड़ यूं, तो फूल्लू नहीं फलूँगी,
हंस के कहे हुए बचनों तैं, हरगिज नहीं हिलूंगी,
पति काट्य दियो संसार के बन्धन, मोक्स मैं साथ चलूंगी,
करम कांड कर नेम धरम से, तोडूय भरम का ताला ।।
वरुण, इन्दर, यम, अगन देवता सुन्दर सरूप वरण मैं,
तुम दुनिया के रक्षक हो, परभुं जन्मत्त और मरण मैं,
मेरे मन का भाव परेम सै समझो, छोड्डूं नहीं परण मैं,
फिर नलदमयन्ती दोन्नूं मिलके, उनकी गए सरण मैं,
लखमीचन्द पै दया करो, परभु कर्य हिरदे उजियाला ।।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्