वास्तविकता को आडम्बर के परिधान पहनाना। इसलिए लखमीचन्द बखानते h
जिसकी कूख तैं जन्म लिया, तूं उसनें कहिए माता ।
जुलमी जोबन कामदेव, मेरे नां काब्बु मैं आता।।
नरक बीच मैं दरजा होगा, मेरी बात मोड़ी का,
मेरी उमर सै ठारा साल की, तू सै मेरी जोड़ी का,
पूरणमल तूं लटका लेले, इस जिंदगी थोड़ी का,
कसी-कसाई खड़ी ठाण पै, बण्य चढणिया घोड़ी का,
दया कर के दिए तप्त बुझा, तूं क्यूं नां पाणी प्यात्ता।।
एक पहर की नूणादे न्यूं, कद्य की सिर पटकै सै,
छाती जलग्यी न्यूएं मेरी, तूं दूर खड्या मटकै सै,
तेरी स्यान नैं देख्य देख्य कै, मेरा जी भटकै सै,
रुत्त पै मेवा पाक्य रही, या निच्चै नैं लटकै सै,
सेब, संगतरे, अंगूर, दाख, क्यूं ना सुआ बण्य के खाता।।
मेरा इस तरियां रह्या रूप च्मक, जणूं बिजली च्यमकै घन मैं,
मिठू मिठू बोल इसे जणूं, कोयल कुक्कै बन मैं,
तेरी चंदा कैसी स्यान देख्य, मेरे उर्दू लोर बदन मैं,
बूढे तैं थी भली कुंवारी, दुख हुया जिवानीपन्न मैं,
मैं पल्ला पसांरू भीख घाल्य दे, मैं भिक्सक तूं दाता।।
बिस्वे तीन मर्द मैं हौं सैं, सत्तरा विस्वे नारी,
बीर मरद की जोट्य मिले, न्यू कहैं ऋसि, ब्रह्मचारी,
तोस्सक तकिये लाग्य रहे, और बिच्छ रहे पिलंग निवारी,
कहें मानसिंह ख्याल करै नैं, तेरी क्यूं गई अक्कल मारी,
नीर गेर के तप्त बुझादे, न्यू लखमीचन्द गाता।।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्