सात जणी का हे मां मेरी झूमका, हेरी कोए रळ मिल झूलण जा,
झूल घली सै हे मां बाग म्हं
1
कोए-कोए किसे की बाट म्हं ठहर रही री
कोए तीळ सिंधारे आळी पहर रही री
जो कोए राक्खी ब्याह
2
छोरे हांगा लारे पींघ पै री
दो छोरी झट बैट्ठी पींघ पै री
दो रही लंगर ठा
3
झूंटा चड्ढ्या गगन अटाक था री
झट सासु का तोड़ा नाक था री
हेरी लंबा हाथ लफा
4
आम के पेड़ कै नीच्चै खड्या री
सब की नजरां एकदम आ पड्या री
उड़ै ‘धनपत सिंह’ भी था
1
कोए-कोए किसे की बाट म्हं ठहर रही री
कोए तीळ सिंधारे आळी पहर रही री
जो कोए राक्खी ब्याह
2
छोरे हांगा लारे पींघ पै री
दो छोरी झट बैट्ठी पींघ पै री
दो रही लंगर ठा
3
झूंटा चड्ढ्या गगन अटाक था री
झट सासु का तोड़ा नाक था री
हेरी लंबा हाथ लफा
4
आम के पेड़ कै नीच्चै खड्या री
सब की नजरां एकदम आ पड्या री
उड़ै ‘धनपत सिंह’ भी था
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्