करे जो भगता पे दया - वो कृष्ण जुन्ना गढ़आया ....................।
जुन्ना गढ़ में सुन्नी एक मंडी , फरके नरसी सेठ की झंडी
पड़ी थी अरब ख़राब माया ....................................।
झट साधु का भेष बनाके, अलख जगाई नरसी के आके,
देख के मूरख घबराया, कृष्ण जुन्ना गढ़ आया.............।
ज्ञान होगया था मिटा अँधियारा ,पूण में माल लुटा दिया सारा
प्रेम ते ईशवर गुण गया , कृष्ण जुन्ना गढ़ आया ..........।
जोगीराम कहे लगया दर सा, हर नंदी मेरी बेटी सिरसा ,
भात भरालयू मन चाहा, कृष्ण जुन्ना गढ़ आया ..................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्