में के धोरे कोन्या में न जड़े पाऊ सू
बालक पण का यार सुदामा न्यू गल के लाऊ सू .......................।
घमंड ते वैर दिन ते यारी यही से तासीर मेरी
शीशपाल घमंडी मार दिया तो समझे थी बीर मेरी
खड़्या सभा में किलकि दे था जाट कहे था हीर मेरी
एक सौ एक दिए खोट बक्स फेर ठायी शमसीर मेरी
सारे खेल खिला जाणु कोई खेले उसे खिलाऊ सू ..........................।
बालक पण का यार सुदामा रूकमण दिन दुखी से
भूखे रोवे पूत पिता के क्या वो जन्म सुखी से
महा दुखी मिश्राणी जिसकी क्यूकर झाल रुकी से
भूख हटड़े मौत निवडे किसकी कजा लुकी से
सर्व व्यापक में इस काया का सगातुर्भुज कहलाऊ सू .........................।
सुणलेयार सुदामा मेरे ते तो दूर प्रे क्यों था
बीती उसी बताई क्यों न यार ते लुकी करे क्यों था
चूल्हे तक की दौड़ तेरी रुक्मण ते बोल डरे क्यों था
में तेरा भाई या तेरी भाभी झूठे फंड करे क्यों था
चाल बैठिये गद्दी पे में रुक्मण ने समझाऊ सू ..............................।
यो पोता उस भृगु का जिसने मरी लात मेरे
मेरे लगी तू रोइ थी दर्द होया घणा गात मेरे
तने दिया श्राप लक्ष्मी न भृगु के वास करे
मांगे राम हरी की लीला कोई करे और कोई मरे
भृगु करग्या मरे सुदामा में न्याय करना चाहु सू ..............................।
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्