तेरी माता रुके देरी एक बार बोलिए रोहताश
रो रो के पागल होली बैठा हो लिए रोहताश-
लाल मेरे दुनिया ते खोदी में, लाश तेरी लिए खडी गोदी में
एक बर हो सोधी में नेत्र खोलिए रोहताश
लीला चेहरा होग्या मुखड़ा धो लिए रोहताश
बता तेरे कित सी लड़ग्या नाग एकली रहीं सू नरभाग
एक बर हो बैठा जाग बाद में सो लिएरोहताश
मालन माता माली तीनो रो लिए रोहताश
तेरी सेवा करी हमेश, आज मेरी जाती ना एक भी पेश
देश नगर घर गाम परगना खो लिए रोहताश
तेरे पिता नै जल के घड़िये ढो लिए रोहतश
जाम आम बादाम छूहारे, सेब सन्तरी आम
ख़िल रहे फूल तमाम हार में पिरो लिए रोहताश
मुंशीराम ने गाम जाण्डली टोह लिए रोहताश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्