मात, पिता और भाई, ब्याही, सब नकली परिवार
दुनियां के म्हं बड़ा बताया पगड़ी बदला यार
किरसन और सुदामा यारी लाए सुणे हों
एक ब्राह्मण और एक हीर कै जाए सुणे हों
एक रोज सुदामा किरसन के घर आए सुणे हों
सुदामा जी के चावल हर नैं खाए सुणे हों
फेर सुदामा का किरसन नैं करया आप किसा घरबार
महाराणा प्रताप सुणे हों बहादुर वीर थे
अकबर शाह के स्याहमी जिसके चाल्ले तीर थे
छूट गई चित्तौड़ बण म्हं बणे फकीर थे
रोटी के मोहताज कपड़े लीरम लीर थे
पड्या वक्त पै टूट के एक भामाशाह साहुकार
अमर सिंह राठोड़ सुणया हो कैसा महाराज था
नौ कोठी मारवाड़ म्हं राजों का ताज था
अर्जुन गोड नैं मार दिया साळा बे लिहाज था
कैथल का पठान सुणया हो नरशेबाज था
अमर सिंह की ल्हाश के ऊपर पड्या टूट ललकार
एक जोधापुर का जैमल सच्चा रजपूत था
उसका चाचा मालदेव असली कमकूत था
बाप बेट्टयां की हुई लड़ाई बाज्या जूत था
उस जैमल का दोस्त दिलदार खां काफी मजबूत था
कहै ‘धनपत सिंह’ बाप नैं बेटा, बेटे नैं बाप दिया मार
किरसन और सुदामा यारी लाए सुणे हों
एक ब्राह्मण और एक हीर कै जाए सुणे हों
एक रोज सुदामा किरसन के घर आए सुणे हों
सुदामा जी के चावल हर नैं खाए सुणे हों
फेर सुदामा का किरसन नैं करया आप किसा घरबार
महाराणा प्रताप सुणे हों बहादुर वीर थे
अकबर शाह के स्याहमी जिसके चाल्ले तीर थे
छूट गई चित्तौड़ बण म्हं बणे फकीर थे
रोटी के मोहताज कपड़े लीरम लीर थे
पड्या वक्त पै टूट के एक भामाशाह साहुकार
अमर सिंह राठोड़ सुणया हो कैसा महाराज था
नौ कोठी मारवाड़ म्हं राजों का ताज था
अर्जुन गोड नैं मार दिया साळा बे लिहाज था
कैथल का पठान सुणया हो नरशेबाज था
अमर सिंह की ल्हाश के ऊपर पड्या टूट ललकार
एक जोधापुर का जैमल सच्चा रजपूत था
उसका चाचा मालदेव असली कमकूत था
बाप बेट्टयां की हुई लड़ाई बाज्या जूत था
उस जैमल का दोस्त दिलदार खां काफी मजबूत था
कहै ‘धनपत सिंह’ बाप नैं बेटा, बेटे नैं बाप दिया मार
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्