बेंगणी सलवार आली मेरे भाई जी की साली स बोल चल न्यारी न्यारी कोयल जैसी वाणी स :-
बेंगणी सलवार आली मेरे भाई जी की साली स ,
बोल चल न्यारी न्यारी कोयल जैसी वाणी स ,
1-म्हारे भामण की थी वा बेटी जो पल्ला पकड़ रही मेरा ,
फेरया प त लेगी थी जो खोल के न मोड़ तेरा ,
भीतर सी न ले क बढ़गी आगे का कोन्या बेरा ,
वा मांगे थी मोहर असर्फी तू बोल्या कोन्या लेरया ,,
बिस संदेसे लेरी मेरी यही राम कहांणी स। ........
2-जिसका रंग मुलायम था वा मामा क त आरी थी ,
वा लगे थी बहन हमारी सूरज कौर कावेरी थी ,
मीठी मीठी बोले थी बस याहे बात न्यारी थी ,
आशिको के काटण खातर घात की कटारी थी,,
वा दुसऱया क आरी र प्यारी , वा अकल्मन्द घणी स्यांणी स। ........
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3-बोल क न देख लिए तू फुल से झड़ेगे पिया ,
लम्बी छोटी पड़ी कमर प नाग से लड़ेंगे पिया,
दो नैना के चले इसारे बाज से लड़ेंगे पिया ,
ओढ़ पहर सिंगर क चले झोल से पड़ेंगे पिया,,
बिजली कैसे चमके लागे सीसे के में पांणी। .......
4-वा लागे थी सासु तेरी तिल न झपट्टे आली ,
वा लागे थी पितस तेरी रेशमी दुप्पटे आली ,
वा लागे थी साला हेल्ली चाल थी सपट्टे आली,
वा लागे थी साली तेरी जो बात के थी ठठे आली ,,
मांगे राम लचरके लागे उसके पाया बिच कामणि स। ........
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सभी रागनी प्रेमिये को ललित जांगड़ा की तरफ से राम राम , हम हरियाणा वासी है और हमारी संस्कृति एक स्यान है, और मुझे गर्व है की में हरियाणा की पवन संस्कति में पला बड़ा हु , मेरी संगीत कला में बहुत बहुत रूचि है में एक अच्छा बैंजो प्लेयर भी हु हिसार जिले में थुराणा गॉव का रहने वाला हु ,
हमारी संस्कृति को कायम रखने में एक छोटा सा सहयोग कर रहा हु , जो हमारे महा कलाकारों की लिखी हुई गयी हुई रागनी, भजन , सांग और अन्य अस्त लिखी कवियों की कलम दवारा पिरोये हुवे छंद आपके सामने ला रहा हु , जो आपको और हमारे कलाकारों का सहयोग करेंगी ,
में २००५ से ब्लॉग्गिंग के बारे में पड़ता आ रहा था , पड़ते पड़ते मुझको भी इस फिल्ड में इंट्रेस्ट आने लगा ऐसे ऐसे होता रहा और में ब्लॉग्गिंग की दुनिआ में उतर पड़ा और देखते ही देखते ऐसी लत लग गई की इसके बिना मुझे नींद तक नहीं आती ये सब आप लोगो का प्यार है जो मुझे यहाँ तक खींच लाया |
आप सब का तह दिल से धन्यवाद्